– आचार्यश्री ने समणियों व मुमुक्षु बाइयों पर बरसाया विशेष आशीर्वाद
– चतुर्दशी के संदर्भ में आचार्यश्री ने हाजरी के क्रम को किया संपादित
11 फरवरी, 2025, मंगलवार, भुज, कच्छ (गुजरात)।
यों तो मर्यादा महोत्सव के बाद उस क्षेत्र से आचार्यश्री का विहार हो जाता है, किन्तु भुजवासियों का सौभाग्य है कि मर्यादा महोत्सव के उपरांत जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी उनके नगर में ही अपना प्रवास कर रहे हैं। यह अवसर भुजवासियों के लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं है। भुजवासी भी अपना अधिकांश समय अपने सुगुरु की सन्निधि में सेवा-आराधना में लगाने का प्रयास कर रहे हैं।
कच्छी पूज समवसरण में उपस्थित श्रद्धालु जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी कल्याणी वाणी से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि साधु जीवन मिल जाना एक बहुत बड़ी उपलब्धि हो जाती है। दुनिया में अनेकों आदमी गृहस्थावस्था में ही रहते हैं। कुछ बच्चे, युवा या वृद्ध ऐसे भी होते हैं, जिनकी चेतना प्रस्फुरित होती है और वे साधु बनने को तैयार हो जाते हैं तथा कई उसमें सफल भी हो जाते हैं। साधु की दीक्षा कभी भी आ सकती है। साधुत्व को प्राप्त कर लेना और उसको सम्पूर्ण जीवन भर पाल लेना बहुत बड़ी सफलता की बात है। आचार्यश्री तुलसी ने अपने जीवन के बारहवें वर्ष में दीक्षा ली और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने अपने जीवन के ग्यारहवें वर्ष में साधुत्व दीक्षा स्वीकार की। आचार्यश्री तुलसी जीवन के तैंयासीवें वर्ष में तथा आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने नब्बेवें वर्ष में महाप्रयाण किया था। साधुत्व की उपलब्धि हो जाने पर उसका संरक्षण ठीक हो जाए तो कितनी अच्छी बात हो सकती है।
महाव्रतों को संयम मान लें तो समिति-गुप्तियों के द्वारा उन संयम की सुरक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। साधुपन मिल जाए तो उसे अच्छी तरह पाल लेने का प्रयास हो और अंतिम श्वास तक साधुपन पल जाए तो जीवन की सफलता हो सकती है। आज माघ शुक्ला चतुर्दशी है। हमारे यहां आज हाजरी का दिन है। माघ शुक्ला सप्तमी को उसका मर्यादा महोत्सव में उपक्रम हुआ था। हाजरी में प्रायः साधु-साध्वियां होते हैं। इस बार हाजरी में समणियां भी उपस्थित हैं। समणियों को तो कभी-कभी बड़े समूह के रूप में अवसर मिलता होगा। अभी मुमुक्षु बाइयां भी बड़ी संख्या में उपस्थित हैं। मुमुक्षु को यदि गुरुकुलवास में कभी भी महीने-डेढ़ महीने तक रहने आदि की सुविधा हो जाए तो उन्हें बहुत कुछ जानने, समझने, साध्वियों की निकट सेवा आदि के माध्यम से अच्छी जानकारी हो सकती है, अच्छा अवसर प्राप्त हो सकता है। इस बार अच्छा अवसर मिला है। समणियां भी धर्मसंघ की अच्छी सेवा करती हैं। कुछ लाडनूं समणीकेन्द्र में रहती हैं तो कई भारत-नेपाल आदि क्षेत्रों में रहती हैं तो कई समणियां विदेशों की यात्रा करती हैं और धर्म प्रचार आदि का कार्य करती हैं। समणियों को जितना संभव हो सके, गुरुकुलवास में रहने और प्रशिक्षण आदि का लाभ प्राप्त होता रहे। गुरुमुख से अपनी सार-संभाल व व्यवस्था आदि की बातों को सुनकर समुपस्थित समणियां और मुमुक्षु बाइयां अत्यंत आह्लाद का अनुभव कर रही थीं।
चतुर्दशी होने के कारण आचार्यश्री ने हाजरी के क्रम को संपादित करते हुए विविध प्रेरणाएं भी प्रदान की। आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं व चारित्रात्माओं को थोड़ी देर तक प्रेक्षाध्यान का प्रयोग भी कराया। आचार्यश्री की अनुज्ञा से साध्वी देवार्यप्रभाजी ने लेखपत्र का उच्चारण किया। आचार्यश्री ने साध्वीश्रीजी को तीन कल्याणक बक्सीस किए। तदुपरांत उपस्थित चारित्रात्माओं ने अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का उच्चारण किया। समणी विपुलप्रज्ञाजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
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