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आदमी को अपनी मर्यादा में रहने का प्रयास करना चाहिए : आचार्यश्री महाश्रमण

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गुजरात के प्रथम ‘मर्यादा महोत्सव’ के लिए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण का भुज में महामंगल प्रवेश

– भव्य व विशाल स्वागत जुलूस में उमड़ा श्रद्धा, आस्था व उत्साह का सैलाब

– साढे तीन कि.मी. के विहार में एक कि.मी. लम्बे जुलूस का दिखा भव्य नजारा

– 161वें मर्यादा महोत्सव की साक्षी बनेगी भुज की धरा

31 जनवरी, 2025, शुक्रवार, भुज, कच्छ (गुजरात)।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 265 वर्षों के इतिहास में अब तक दस आचार्य हो चुके। तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादा के महाउत्सव ‘मर्यादा महोत्सव’ को प्रारम्भ हुए भी लगभग 160 वर्ष हो चुके, किन्तु इतने लम्बे इतिहासकाल में गुजरात की धरा पर एक भी मर्यादा महोत्सव का आयोजन नहीं हुआ है। वर्ष 2025 में तेरापंथ धर्मसंघ के 161वें मर्यादा महोत्सव का भव्य आयोजन गुजरात के भुज नगर को मिला तो मानों गुजरात ऐसा सुअवसर प्राप्त कर निहाल हो उठा। यह कृपा गुजरातवासियों पर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, मानवता के मसीहा, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रदान की तो जन-जन का मन मयूर नृत्य कर उठा। यों तो अपने आचार्यकाल मंे अनेकानेक नवीन ऐतिहासिक स्वर्णिम अध्यायों का सृजन करने वाले महातपस्वी शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भुज की धरा पर शुक्रवार को अपनी धवल रश्मियों के साथ भुज में मंगल प्रवेश किया तो पूरा भुज ही नहीं, समूचा गुजरात उस मंगलमय आभा से जगमगा उठा और भुज की धरा धन्य-धन्य कहकर मानों ऐसे महामानव का शत-शत अभिनंदन करने लगी।

र्स्वणाक्षरों में अंकित हुआ भुज
भुज की धरा पर शुक्रवार को प्रातःकाल मानों दो सूर्य एक साथ उदय हो रहे थे। निरंतर अपनी आभा से जगत को आलोकित करने वाला सूर्य अपनी किरणों के साथ आसमान में गति कर चुका था तो आज भुज की धरा पर अपनी श्वेत रश्मियों के साथ तेरापंथ धर्मसंघ के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी मानव-मानव की चेतना को आलोकित करने के लिए गतिमान हुए। आज वह सौभाग्यशाली दिन था जो भुज के इतिहास में र्स्वणाक्षरों से अंकित हो रहा था। हो भी क्यों न जब गुजरात राज्य में प्रथम मर्यादा महोत्सव का सौभाग्य भुज को प्राप्त हो रहा है।

मर्यादा महोत्सव के विशाल जुलूस में दिखी मर्यादा की अलौकिक झलक
महाप्रज्ञनगर से शुक्रवार को प्रातःकाल तेरापंथाधिशास्ता अपनी धवल सेना के साथ गुजरात के प्रथम मर्यादा महोत्सव के आयोजन के लिए भुज में प्रवेश करने के लिए गतिमान हुए तो चतुर्विध धर्मसंघ अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करने निकल पड़ा। श्रद्धा, आस्था व उत्साह लिए उमड़े श्रद्धालुओं के सैलाब में भुज के चौड़े मार्ग भी मानों आज संकीर्ण नजर आने लगे, किन्तु अवसर था मर्यादा महोत्सव के प्रवेश का तो फिर मर्यादा की अलौकिक झलक भी देखने को मिली। समूचे मार्ग को बाधित न करते हुए मार्ग के दोनों किनारों पर साधु-साध्वियों, समणियों, मुमुक्षु बहनों की पंक्ति बन गई और उनके मध्य युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी तदुपरांत श्रद्धा-भक्ति से सराबोर श्रद्धालुओं का समूह।

मर्यादित जुलूस के मध्य से एम्बुलेंस को मिला मार्ग
स्वागत जुलूस के दौरान उसी मार्ग से एक एम्बुलेंस आती नजर आई तो स्वयं युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने जब किनारे होकर एम्बुलेंस को मार्ग प्रदान किया तो मर्यादा के प्रति मानव मात्र को मानवता के मसीहा ने जागरूक कर दिया। इसका प्रभाव यह था कि वह एम्बुलेंस जुलूस के मध्य से होते हुए मरीज को लेकर अस्पताल की ओर निकल गई। इस दृश्य को अपने नयनों से निहारने वाले लोग तेरापंथ धर्मसंघ की अनुशासन ओर मर्यादा की उत्कृष्टता का वर्णन किए बिना स्वयं को रोक नहीं पा रहे थे।

स्वागत जुलूस में सद्भावना का प्रभाव
मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी के स्वागत-अभिनंदन में केवल तेरापंथी समाज ही नहीं, बलिक अन्य जैन समाज व संस्थाओं के लोग तथा अन्य अनेक धर्म व संप्रदायों के लोग सौहार्दपूर्ण वातावरण में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे। आचार्यश्री सभी पर समान रूप से आशीषवृष्टि करते हुए गंतव्य की ओर बढ़ते जा रहे थे।
विभिन्न चौक-चौराहों से होते हुए भव्य, विशाल एवं मर्यादित स्वागत जुलूस द्वारा लगाए जाने वाले जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था। नियत समय पर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी लगभग 3.6 कि.मी. का विहार सम्पन्न कर भुज के श्री लालचंद थावर जैन महाजनवाड़ी में मर्यादा महोत्सव सहित भुज में 17 दिवसीय प्रवास हेतु पधारे।
कच्छी पूज समवसरण के विशाल पण्डाल में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी विराजमान हुए और मंगल महामंत्रोच्चार से कार्यक्रम का मंगल शुभारम्भ हुआ। उपस्थित विशाल जनमेदिनी को साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने उद्बोधित किया।

भुज की धरा से जनता को मंगल पाथेय
कच्छी पूज समवसरण से उपस्थित विशाल जनमेदिनी को तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रथम मंगल पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी दुनिया में मंगल की कामना करी जाती है। दूसरों के प्रति भी मंगलकामना व्यक्त की जाती है और आदमी स्वयं का भी मंगल चाहता है। किसी कार्य को करने में निर्विघ्नता रहे, उसके लिए आदमी प्रयास भी करता है। लोग मंगलपाठ सुनते हैं। कई द्रव्यों अथवा पदार्थों आदि का भी उपयोग होता है। अच्छे मुहूर्त आदि को भी देखा जाता है। इस मुहूर्त दर्शन में भी मंगल की कामना निहित होती है। ये सभी उपाय मंगलकारी हो भी सकते हैं, लेकिन शास्त्र में धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा गया है।
आदमी को यह देखना चाहिए कि आदमी के साथ धर्म है तो उसका मंगल ही मंगल होता है। प्रश्न हो सकता है कि कौन-सा धर्म मंगल है। शास्त्रकार ने समाधान प्रदान करते हुए कहा कि अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म ही उत्कृष्ट मंगल है। जो भी मनुष्य अहिंसा, संयम और तप से तपेगा, उसका जीवन मंगलमय हो जाएगा। उसकी आत्मा धर्म से भावित रहेगी। जो व्यक्ति सदैव धर्म में रमा रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं।
आचार्यश्री महाश्रमण जी ने आगे कहा कि हमारे धर्मसंघ के चतुर्थ आचार्य श्रीमज्जयाचार्य के समय मर्यादा महोत्सव का प्रारम्भ हुआ था। पूर्व में 160 मर्यादा महोत्सव के आयोजन हो चुके हैं। हमारे सप्तम आचार्यश्री डालगणी विलक्षण आचार्य थे। वे किसी आचार्य के द्वारा नियुक्त नहीं हुए, बल्कि पूरे धर्मसंघ ने उनका चयन किया गया था। परिवार, समाज, संगठन एवं राष्ट्र के लिए मर्यादा का अतिमहत्त्व होता है। आदमी को अपनी मर्यादा में रहने का प्रयास करना चाहिए। मर्यादा के अतिक्रमण के प्रमाद से बचने का प्रयास करना चाहिए।
आज हमारा भुज में प्रवेश हुआ है। हमारे साधु, संत, समणियां, मुमुक्षु, श्रावक-श्राविकाएं हैं। सभी अच्छे रहें। भुज का मर्यादा महोत्सव सकुशल सम्पन्न हो। व्यवस्था समिति के लोग निष्ठाभाव से जुड़े हुए हैं। पूरे भुज के समस्त समाज में खूब अच्छी भावना बनी रहे। कार्यकर्ता खूब शांति, सौहार्द, मैत्री के साथ कार्यक्रम सुसम्पन्न कराने का अच्छा प्रयास करते रहें, मंगलकामना।

भुजवासियों ने तेरापंथाधिशास्ता के स्वागत में अर्पित की स्वरांजलि
मंगल प्रवचन के उपरांत मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति, भुज के अध्यक्ष श्री कीर्तिभाई संघवी, स्वागताध्यक्ष श्री नरेन्द्रभाई मेहता, स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री वाणीभाई मेहता ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। भुज ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल, भुज ने स्वागत गीत का संगान किया। भुज के सात संघों के सदस्यों ने एक साथ स्वागत गीत का संगान किया। सात संघ के प्रमुख श्री स्मितभाई झवेरी ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए आचार्यश्री को अभिनंदन पत्र अर्पित किया। स्थानीय तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष श्री स्नेह मेहता व मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री चंदूभाई संघवी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ कन्या मंडल व तेरापंथ किशोर मंडल ने संयुक्त रूप से अपनी प्रस्तुति दी।

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