– युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी का ग्यारह वर्षों पश्चात पुनः कच्छ की धरा पर पदार्पण
– आराध्य के स्वागत में उमड़े श्रद्धालु, चतुर्विध तीर्थ से शोभायमान हुआ कटारिया तीर्थ
19 जनवरी, 2025, रविवार, जूना कटारिया, कच्छ (गुजरात)।
जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में कटारिया जैन तीर्थ में कच्छ प्रवेश स्वागत समारोह का भव्य आयोजन हुआ। तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें पट्टधर का ग्यारह वर्षों बाद पुनः कच्छ पदार्पण क्षेत्रवासियों में अपार हर्षाेल्लास लेकर आया है। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संदेश के साथ आचार्यश्री अब कच्छ की धरा पर जनोद्धार करने अग्रसर हैं। स्वागत समारोह के अवसर पर कच्छ के साथ-साथ गुजरात के कोने-कोने से श्रद्धालु गुरुचरणों में अभिनंदन करने हेतु उपस्थित थे। प्रातः सूरजवाड़ी स्थित आदिनाथ जैन उपाश्रय से लगभग 11 किलोमीटर विहार कर जूना कटारिया स्थित जैन तीर्थ में पधारे। गुरुदेव के आगमन के साथ ही श्रद्धालुओं ने जय-जय कारों से गगन गुंजायमान कर दिया। इस अवसर पर विभिन्न राजनीतिक, प्रशासनिक, सामाजिक वर्ग के भी कई गणमान्य शांतिदूत के स्वागत हेतु उपस्थित थे।
मंगल प्रवचन में धर्म देशना देते हुए आचार्यप्रवर ने फरमाया कि धर्म को परम मंगल कहा गया है। जहां अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म होता है वहां फिर मंगल ही मंगल है। अहिंसा एक ऐसा तत्व है जो सर्वमान्य है। शायद ही कोई ऐसा धर्म संप्रदाय होगा जो अहिंसा को ना मानता हो। किसी के प्रति हिंसा नहीं, सभी को अपने आत्मतुल्य मानना अहिंसा है। व्यक्ति सोचे कि क्यों किसी को कष्ट दे, बिना प्रयोजन के भी छोटे पशु-पक्षियों को परेशान नहीं करना चाहिए। क्रोध का अल्पीकरण हो यह आवश्यक है। साथ ही हर क्षेत्र में संयम हो। दिनचर्या में संयम, वाणी में संयम, उपभोग में भी संयम। ये संयम व्यक्ति का पाप कर्मों के अर्जन से भी बचाव करता है और तीसरा तत्व है धर्म का तप। कोई उपवास, नवकारसी आदि करते हैं, तप के कई प्रकार हैं। इन अहिंसा, संयम, तप में सभी धर्म समाहित हो जाते है। मुख्य बात है कि धर्म आचरण में आए। सिर्फ धर्मस्थल पर ही धर्म ना हो, कर्मस्थल पर भी धर्म हो। व्यक्ति ऑफिस में है, घर में है, बाजार में है हर जगह उसके कार्य में, आचरणों में धर्म झलकना चाहिए। व्यापार आदि में बेइमानी नहीं हो। परमपूज्य आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत की शुरुआत की। अणुव्रत एक ऐसा तत्व है जिसे कोई भी अपना सकता है। छोटे-छोटे व्रतों द्वारा उसमें सदाचार युक्त जीवन जीने की प्रेरणा है। जब जीवन में धर्म आ जाता है तो व्यक्ति का जीवन सार्थक बन सकता है।
आज हमारा कच्छ में प्रवेश हुआ है। यहां की जनता में भी धर्म जागृति बढ़ती रहे। जीवन में सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति जैसे तत्व आएं, यह काम्य है। आराध्य का अभिनंदन करते हुए कच्छ क्षेत्र की साध्वी श्री हेमलता जी ने वक्तव्य दिया एवं अन्य साध्वियों ने सामूहिक गीत का संगान किया।
स्वागत के क्रम में कच्छ जिला पंचायत प्रमुख श्री जनक सिंह जाड़ेजा, पूर्व विधायक श्री पंकज भाई मेहता, गुजरात भाजपा सेल संयोजक श्री हितेश भाई खांडोल, कटारिया जैन तीर्थ के मुख्य ट्रस्टी श्री कमल भाई मेहता, भुज मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति अध्यक्ष श्री कीर्ति भाई संघवी, स्वागताध्यक्ष श्री नरेंद्र भाई मेहता, सभा अध्यक्ष श्री बाड़ी भाई, तेयुप अध्यक्ष श्री महेश भाई, महिला मंडल से श्रीमती अमिता मेहता, अणुव्रत समिति से श्री महेश प्रभुभाई मेहता, तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री अशोक संघवी, महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती मंजू संघवी आदि ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर ज्ञानशाला गांधीधाम, भुज ज्ञानशाला, कन्या मंडल की सदस्याओं ने पृथक-पृथक सामूहिक प्रस्तुति दी।
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