भगवान पार्श्वनाथ का 2900वां जन्म कल्याणक दिवस मुनिश्री मोहजीत कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, मैसूर में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ नमस्कार महामंत्र से हुआ। दिवस के प्रारम्भ में श्रीमद्जयाचार्य द्वारा रचित पार्श्वनाथ स्तुति का संगान मुनिश्री भव्य कुमार जी ने किया। भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक दिवस पर अपने भावों की प्रस्तुति करते हुए मुनिश्री जयेश कुमारजी ने प्रभु पार्श्वनाथ की महिमा 24 तीर्थंकरों के मध्य अलग वैशिष्ट्यता लिये हुए क्यों है इसे अनेक सारपूर्ण तथ्यों और उदाहरणों से स्पष्ट किया। इस दिन से जुड़े एक और प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज मेरे अनन्य उपकारी शासनश्री मुनिश्री सुखलाल जी के प्रयाण को पांच वर्ष हो गये। वे धर्मसंघ के एक प्रतिष्ठित संत थे। उन्होंने अपने जनोपकारी कार्यों से हजारों-लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। मेरा भी यह सौभाग्य रहा कि उन जैसे महान संतों की सन्निधि में रहने का, कुछ सीखने का अवसर मिला। मुनिश्री की षष्ठी प्रयाण तिथि पर में उनके प्रति अपनी कृतज्ञतापूर्ण श्रद्धासिक्त अभिवंदना कर रहा हूं।
इस अवसर पर मुनि मोहजीत कुमारजी ने कहा कि भगवान पार्श्वनाथ के जीवन में संवेदनशीलता और करुणा का भाव था। उन्होंने स्वयं पर आने वाले उपसर्गों को करुणा से अभिभूत बन उन्हें तिरोहित किया। भगवान पार्श्व का प्रभाव जीवन के कष्टों के निवारण का बहुत बड़ा आधार है। जैन परम्परा से जुड़े शताब्दियों पूर्व हुए आचार्यों ने भगवान पार्श्व की स्तुति में अनेकानेक स्तोत्रों का निर्माण किया। जो आज भी भक्त जनों के कष्टों का निवारण करता है।
भगवान पार्श्व जन्म कल्याणक दिवस के उपक्रम में मुनिश्री ने मनोबल वृद्धि अनुष्ठान को प्रकार देते हुए अनेक मंत्रों को सह-संगान करवाया। रात्रिकालीन उपक्रम में मुनिवरों द्वारा पार्श्व स्तुति से जुड़े अनेक मंत्रों एवं स्तोत्रों का उपस्थित श्रावक समाज सह संगान हुआ। कार्यक्रम की सफल संयोजना में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम मैसूर के सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा।
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