मुनि श्री जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में राष्ट्रसंत आचार्यश्री तुलसी का 111वाँ जन्म दिवस ‘अणुव्रत दिवस’ के रूप में प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि बीसवीं सदी के आलोक पुंज व्यक्तित्व का नाम है – आचार्य श्री तुलसी। वे मानवता की धरती पर जीवन-मूल्यों की फसल उगाने वाले एक दिव्य दृष्टि सम्पन्न महामानव थे। वे नैतिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले लाखों लोगों की आस्था के केन्द्र थे। वे गति, ऊर्जा, प्रकाश के पर्याय थे। उन्होंने अणुव्रत सूत्रपात कर मानव जाति को नई दिशा दी। वे साहित्यकार प्रवचनकार संगीतकार कुशला प्रशासक थे। व्यापक सोच और उदार दृष्टिकोण वाले जनप्रिय नेता थे धर्म संघ के 9 वे अधिशास्ता थे। मुनिश्री ने आगे कहा आचार्य श्री तुलसी का जन्म साधारण बालक की तरह हुआ साधारण विशेषताओं के साथ हुआ है। आचार्य श्री तुलसी ने कालुगणी की सान्निधि में विद्या विनय विवेक विराति विद्यायक पांच वि के साथ सर्वतो मुखी विकास किया। वे ज्ञानी, दानी व्यवहार कुशल न्यायविद आचार निष्ठा महापुरुष थे। उनके जीवन में अनेक उतार चढाव आए। फिर भी उन्होंने स्वस्थ व संतुलित जीवन जिया तेरापंथ धर्म को समृद्ध बनाया। वे अनेकांत दृष्टिकोण के धारक थे। तीसरी आंख के धनी थे। विकास के नये द्वार खोले, संघ को नये-नये आयाम देकर धर्मसंघ की अपूर्व सेवा की जन्म दिवस पर कोटि कोटि वंदन।
इस अवसर पर मुनिश्री परमानंद जी ने कहा कि अणुव्रत आंदोलन के द्वारा आचार्यश्री तुलसी ने इंसान की इंसानियत को बढ़ावा दिया। लाखों लोगों का उद्धार किया बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के विशिष्ठ उपाध्यक्ष प्रतापचंद्र दुगड़ ने अपने विचार व्यक्त किया। साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत जी बाफणा ने स्वागत भाषण दिया। संचालन मुनि श्री परमानंद जी ने किया। आभार ज्ञापन मंत्री बसंत पटावरी ने किया।
