अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार तेरापंथ महिला मंडल, कोयम्बतुर द्वारा ‘अनासक्त भावना का विकास कैसे हो’ कार्यशाला का आयोजन मुनिश्री दीप कुमार जी ठाणा-2 के सान्निध्य में किया गया। कार्यशाला की शुरुआत मुनिश्री के मुखारविंद से नमस्कार महामंत्र के द्वारा हुई। मंडल की बहनों द्वारा सुमधुर प्रेरणा गीत का संगान किया गया। स्थानीय मंडल अध्यक्षा मंजू सेठिया ने वक्तव्य के द्वारा पधारे हुए सभी बहनों व भाईयों का स्वागत व अभिनंदन किया।
मुनि श्री काव्य कुमार जी ने कहा कि भौतिक वस्तुओं और सांसारिक विषयों के प्रति आसक्ति रखना अच्छा नहीं है। स्थायी आनंद तो अनासक्त भावना से प्राप्त होता है। मुनि श्री दीप कुमार जी ने कहा कि अनासक्ति भावना का यह अर्थ नहीं है कि हमें किसी भी वस्तु का व्यक्ति की संगति का आनंद उठाने की अनुमति नहीं है। अनशक्ति भावना का अर्थ सचमुच यह है कि हमें किसी व्यक्ति वस्तु विशेष के मोह में न जकड़कर हमें यह भान हो कि यह सब अस्थाई व असाश्वत है। मुनिश्री ने बहुत ही सुंदर सरल भाषा में विसर्जन विषय पर भी प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन उपासिका वह उपाध्यक्ष सुशीला बाफना ने किया। इस कार्यशाला में लगभग 80 की संख्या में भाई-बहनों की उपस्थिति रही।
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