उर्जा का अक्षय स्त्रोत है मंत्र- मुनिश्री अर्हत् कुमार जी
मुनिश्री अर्हत कुमार जी, सहवर्ती संत मुनि भरत कुमार जी एवं मुनि जयदीप कुमार जी के सान्निध्य में बीजाक्षर मंत्र एवं पिंडस्थ ध्यान के अनुष्ठान का कार्यक्रम डॉ अर्चना जैन, डॉ मंजू जैन, विनय जैन द्वारा दिनांक 6 अक्टूबर, 2024 सुबह 9ः00 बजे आयोजित किया गया। डॉ अर्चना जैन ने मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की।
मुनि श्री अर्हत कुमार जी ने मंगल उद्बोधन में कहा कि शास्त्रों में मंत्र का सदैव महत्व रहा है। मंत्र शास्त्र अपने आप मे एक विशद शास्त्र है। मंत्र जीवन में शांति और सिद्धि का द्वार खोलते है। किसी भी मंत्र की आदि बीजाक्षर से होती है। बीज मंत्र हमें शारिरिक, मानसिक तथा भावानात्मक इन तीनों रूप से प्रभावित करते है। सैकड़ों बीज मंत्र व्यक्ति की आधि-व्याधि का हरण कर उसे समाधि के सुखद आनंद का अनुभव कराते है। इसमें एकाग्रता, शुद्धता, व पवित्र भावनाओ का संगम ही हमें ऊर्जा प्रदान करता है। विधिवत् साधना द्वारा हम इसे सिद्ध कर उर्ध्वागमन के पथ पर बढ़ सकते है। हम पूर्ण समर्पण एवं श्रद्धा से इसके महत्व को समझकर नई दिशा में गतिमान होते हुए, आत्मकल्याण की राह पर अग्रसर बने। डॉ मंजू जैन व डॉ अर्चना जैन ने अनेकानेक प्रयोग व पिंडस्थ ध्यान के द्वारा आत्मशक्ति को उर्ध्वागमन ले जाने का सूत्र बताया। आज के कार्यक्रम में पदाधिकारी गण एवं श्रावक-श्राविका समाज की अच्छी उपस्थिति रही। भाई-बहनों द्वारा एक स्वर के साथ बीजाक्षर मंत्र और पिंडस्थ ध्यान किया गया। सबने बड़ी तन्मयता से उच्चारित मंत्रो का श्रवण किया। तेरापंथ महिला मंडल की बहनों द्वारा डॉ अर्चना जैन, डॉ मंजू जैन का सम्मान किया गया। सभा से श्री संजय जी पुगलिया ने श्री विनय जी जैन का सम्मान किया। मुनिश्री द्वारा मंगल पाठ से कार्यक्रम सम्पन हुआ।
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