आध्यात्मिक सीजन का समय-चातुर्मास साध्वीश्री कीर्तिलता जी भीलवाड़ा चातुर्मास का काल अध्यात्म के सीजन का काल होता है। उसमें भी सावन व भादव का समय विशेष होता है। भीलवाड़ा में आचार्य महाश्रमण जी की महत्ती अनुकंपा से साध्वीश्री कीर्तिलता जी के पावन सान्निध्य में ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार व तपाचार की आध्यात्मिक फसल लहलहाई। ’ज्ञानाचार’ ज्ञानवृद्धि के लिए जैन विद्या, अणुव्रत, तत्वज्ञान के फॉर्म के साथ-साथ अन्ताक्षरी, मुझे पहचानो, प्रश्न हमारे उत्तर आपके, घर बैठे प्रश्नोत्तरी, प्रवचन श्रवण आदि उपक्रम संचालित किए गये। ’दर्शनाचार’ रात्रिभोजन, जमीकंद, टीवी, सिनेमा त्याग, छोटे छोटे बच्चों ने पर्युषण में स्मार्ट फोन का त्याग किया। शांतिलाल जिनका तीन माह का पोता उसे पालने में सुलाकर प्रतिदिन प्रवचन श्रवण करवाते। ’चारित्राचार’ सावन में प्रवचन काल में प्रतिदिन 300.350 सामयिक होती। पर्युषण पर्व के दौरान लगभग 2000 सामयिक हो जाती। उपासक दीक्षा में लगभग 95 भाई-बहिन संभागी बने। संवत्सरी के दिन अष्ट-प्रहरी पौषध 155, चतुर्थ व षष्ट प्रहरी कुल 345 पोषध हुए। साध्वीश्री की प्रेरणा से अनेक छोटे-छोटे बच्चों ने उपवास किया। ’तपाचार’ एक माह का तप धर्मेंद्र छाजेड, अर्धमाह तप सूर्यप्रकाश तातेड ने किया। सिद्धि तप सुशीला नौलखा, कंठी तप वीणा पारख ने किया। ग्यारह का तप शांतिलाल श्रीमाल व नौ का तप अक्षिता चौधरी, रोशन देवी श्रीमाल, राजेंद्र मेहता, परीक्षा नाहर, भव्या दक ने किया। अठाई तप साक्षी गोखरू, नेहा छाजेड, बाबूलाल बोहरा, प्रज्ञा चोरडिया, अक्षय नाहर, मोना चौधरी, प्रतिभा चौधरी, रीटा कोठारी, प्रमिला हिरण, परी तलेसरा, विमल रांका, नेहा बुरड आदि। तेले तेले का तप सज्जन संचेती, बेले बेले का तप चन्द्र कांता चोरडिया, सुरेश बोरदिया ने किया।
इस चातुर्मास में लगभग 250 तेले हुए। अनेक भाई बहिनों ने एकांतर तप किया। महिला मंडल प्रचार-प्रसार मंत्री नीलम लोढ़ा ने बताया कि पर्युषण पर्व में आठ दिन तक अखंड नवकार महामंत्र का जाप चला। प्रातः 9 से 11बजे तक एवं संवत्सरी के दिन प्रातः 9 से 4 बजे तक प्रवचन चला जिसमें श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही।
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