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आध्यात्मिक मिलन समारोह : कांकरोली

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बहुश्रुत परिषद के सदस्य मुनिश्री उदितकुमार जी स्वामी आदि ठाणा-3 प्रातः 7.30 बजे नटराज मार्बल कमलेशजी कच्छारा के यहां से विहार कर सुबह 09.00 बजे धोइंदा, टीवीएस चौराहा, 50 फिट होते हुए प्रज्ञा विहार, कांकरोली पधारे। जहां शतावधानी मुनिश्री संजय कुमार जी स्वामी, मुनिश्री प्रकाश कुमार जी स्वामी, मुनिश्री प्रसन्न कुमार जी स्वामी, मुनिश्री धैर्य कुमार जी स्वामी से आध्यात्मिक मिलन हुआ।
आध्यात्मिक मिलन के बाद स्वागत कार्यक्रम आयोजित हुआ।
विहार में श्री भीकम जी कोठारी, पवन जी कोठारी, धनेंद्र मेहता, मदनलाल जी धोका, संदेश पगारिया, महेश बाफना, अखिल बापना, नितिन आंचलिया, प्रकाश जी गांग, अखिलेश जी तलेसरा, विजय जी बाफना, प्रकाश जी मेहता, इंदिरा जी कच्छारा, अतुल दक आदि कई सदस्य उपस्थित रहे।
जुलूस के रूप में प्रज्ञा विहार में प्रवेश के बाद धर्मसभा में परिणत हुई धार्मिक जनता को मुनिश्री संजय कुमार जी स्वामी ने संतों के आध्यात्मिक मिलन को श्रेष्ठ मिलन बताया और कहा कि मुनिश्री उदित कुमार जी जैसे संतों का संघ में होना अपने आप में एक विलक्षण बात है। इस अवसर पर मुनिश्री प्रसन्न कुमार जी स्वामी ने कांकरोली समाज की ओर से मुनिश्री उदित कुमार जी स्वामी का स्वागत सम्मान करते हुए कांकरोली की विशेषताएं बताई और निवेदन किया कि आप अधिक-से-अधिक यहां पर विराजें साथ ही प्रसन्न मुनि ने धार्मिक आराधना का पक्ष और आध्यात्मिक मिलन का पक्ष भी उजाला बताया।
प्रकाश मुनि ने कई सिद्धि मंत्रों के साथ में अपनी बात को रखते हुए कहा कि कांकरोली समाज एक अच्छा समाज है और सक्रिय समाज है। मुनिश्री ने संतों का स्वागत सम्मान किया। आगंतुक संतों को संघ मिलन और आध्यात्मिक मिलन का आह्वान करते हुए निवेदन किया कि आप संघ और समाज को इसी तरह संभालते रहें।
इस अवसर पर महिला मंडल की बहनों ने गीतिका प्रस्तुत की। मदनलाल जी धोखा ने संयोजन किया और अपनी बात प्रस्तुत की। इस अवसर पर मुनिश्री उदित कुमार जी स्वामी ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण जी ने महत्ती कृपा कर हमें दिल्ली प्रवास का आदेश फरमाया है और हमने कांकरोली का रास्ता चुनकर मुनिश्री संजय कुमार जी स्वामी के दर्शन का लाभ प्राप्त किया है। मुनिश्री संजय कुमार जी स्वामी रत्नाधिक संत हैं, संघ में विरले ही संत ऐसे होते हैं जो इतने ज्ञानी और प्रभावशाली होते हैं मेवाड़ का नाम अक्षुण्ण रखने वाले इन चारों संतों को मेरा विनम्र प्रणाम कहते हुए मुनिश्री उदित कुमार जी स्वामी ने कहा कि आध्यात्मिक मिलन अपनी जगह है, परंतु संत मिलन कई जन्मों के पापों का नाश कर देता है अंत में पवन जी कोठारी ने आभार ज्ञापित किया।

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