Jain Terapanth News Official Website

परिवार में रहे संस्कारों का पारावार : आचार्यश्री महाश्रमण

Picture of Jain Terapanth News

Jain Terapanth News

– आचार्यश्री के मंगल सान्निध्य में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन

– साध्वीप्रमुखाश्री जी ने भी महिला समाज को किया अभिप्रेरित

– स्थानीय विधायक श्रीमती मालतीबेन माहेश्वरी ने किए आचार्यश्री के दर्शन

8 मार्च, 2025, शनिवार, गांधीधाम, कच्छ (गुजरात)।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी वर्तमान में गुजरात के कच्छ जिले में स्थित गांधीधाम में विराजमान हैं। भारत का पश्चिमी समुद्र तटीय क्षेत्र समुद्रीय व्यापार से जुड़ा हुआ है। नित्य प्रति व्यापार आदि कार्यों से जुड़े रहने वाले लोग युगप्रधान आचार्यश्री के विराजमान होने से आध्यात्मिकता का धन संचय करने में लगे हुए हैं।
शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अमर पंचवटी के परिसर में बने ‘महावीर आध्यात्मिक समवसरण’ में अन्य श्रद्धालुओं के साथ तेरापंथ समाज के श्राविका समाज की विशेष उपस्थिति थी। कार्यक्रम के प्रारम्भ में तेरापंथ महिला मण्डल, गांधीधाम की महिलाओं ने गीत का संगान किया। तदुपरांत साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने समुपस्थित जनमेदिनी को पावन प्रतिबोध प्रदान किया।
महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि श्रमण संघ चार रूपों वाला होता है। साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका। साधु-साध्वी श्रमण संघ के अंग तो हैं, श्रावक-श्राविका को भी श्रमण संघ का अंग बताया गया है। अर्हत्, तीर्थंकर तीर्थ की स्थापना करने वाले होते हैं। श्रावक-श्राविकाओं को साधु समाज के लिए माता-पिता के रूप में माना गया है। गोचरी-पानी आदि मंे तो श्राविका समाज का बहुत योगदान होता है। आज का विषय भी ‘हमारी संस्कृति-हमारा परिवार’ है। परिवार में संस्कृति कैसे रहे और वह सुरक्षित रहे, इसका ध्यान देना आवश्यक है। संस्कृति की सुरक्षा में साहित्य की बहुत विशेष भूमिका होती है। साहित्य के पठन से भी संस्कृति प्रवर्धमान रह सकती है। संस्कृति कह लें अथवा संस्कार कह लें दोनों में अभिनत्व जैसा हो सकता है। परिवार, जिसमें संस्कारों का पारावार हो। संस्कारों को मजबूत बनाने में बाइयों, माताओं का बड़ा योगदान हो सकता है। बच्चों की एक स्कूल तो उसकी मां हो सकती है, उसके पिता हो सकते हैं। बच्चों में अच्छे संस्कारों का वपन मां के द्वारा किया जा सकता है।
परिवार संस्कारयुक्त और संस्कृतियुक्त हो, इसमें बाइयों का बहुत योगदान हो सकता है। अच्छा संस्कार मिलता हो तो माता-पिता का थोड़ा कड़ा रुख भी कल्याणकारी हो सकता है। आदमी छदमस्थ है, उसके जीवन में अवगुण भी हो सकते हैं, लेकिन संस्कारों के बोध से अवगुणों का अल्पीकरण और सद्गुणों एवं संस्कार का विकास हो सकता है।
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी है। दुनिया में पुरुषों का महत्त्व है तो महिलाओं की अपनी उपयोगिता और महत्ता हो सकती है। आज का दिन महिलाओं के लिए अनेक कार्यक्रमों आदि का निमित्त बन सकता है। तेरापंथ समाज में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल है। हमारे साध्वीप्रमुखा और अन्य साध्वियों का महिला समाज का अधिक निकटता रह सकती है। इस संस्था की अनेक ब्रांच हैं। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा चलाई जाने वाली गतिविधियां भी बहुत हैं। इनके द्वारा तेरापंथ समाज की महिलाओं को विकास करने का अवसर मिला है। महिलाओं की आध्यात्मिक शक्ति का विकास हो और उन शक्तियों का आध्यात्मिक उपयोग भी होता रहे। तेरापंथ परंपरा में उन्नीसवें तीर्थंकर मल्लीनाथ भगवान को महिला के रूप में स्वीकार किया गया है। महिला मण्डल है, कन्या मण्डल है, बेटी तेरापंथ की के नाम से भी एक उपक्रम चल रहा है। महिलाओं में आध्यात्मिक, तात्त्विक विकास होता रहे। बच्चों में अच्छे संस्कार और पुरुषों में भी अच्छा संयम का क्रम रहे, इसके लिए महिलाएं जितना प्रयास कर सकें, उन्हें करने का प्रयास करना चाहिए। इस दिन महिला जाति को कुछ चिंतन करने, नया करने का अवसर हो सकता है। धार्मिक साधना जीवन में बढ़ती रहे, जीवन में किसी के आध्यात्मिक-धार्मिक उपकार का प्रयास होता रहे। महिला समाज उन्नति की दिशा में आगे बढ़ता रहे। इस अवसर पर गांधीधाम की विधायक श्रीमती मालतीबेन माहेश्वरी ने आचार्यश्री के दर्शन करने के उपरांत अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी।

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स